रास्ता बुलाता है

By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
रंग बुझने लगे हैं आँखों में
बिल्डिंगें जुगनुओं सी लगती हैं
चाँद तारे कहाँ हैं क्या मा'लूम
लड़कियाँ फूल से बदन वाली


इक ज़रा पास से गुज़रती हुई
जो मिरा दर्द बाँट लेती हैं
सो चुकी होंगी अपनी क़ब्रों में
अब कहीं ज़िंदगी का नाम नहीं


भूक ने पाँव बाँध रक्खे हैं
फिर भी चलने पे हूँ ब-ज़िद कि अभी
चँद लाशें हैं हसरतों की जिन्हें
सुब्ह से पहले दफ़्न करना है


बोझ कुछ कम हो तो कहीं बैठूँ
और फिर बैठे-बैठे सो जाऊँ
फिर कोई ख़्वाब देखूँ कल के लिए
अभी इक रोज़ और जीना है


42045 viewsnazmHindi