सन्नाटा By Nazm << दोराहे तारीख़ का नौहा >> सन्नाटा सा सन्नाटा है सब को अपनी तन्हाई है सब के अपने अपने दुख अंदर का कोई मीत नहीं है साँझ का कोई गीत नहीं है सन्नाटा सा सन्नाटा है ख़ामोशी है वीरानी है नागिन रात सी काली चुप है Share on: