तीन मुख़्तसर नज़्में

By ali-zaheer-rizvi-lakhnaviOctober 24, 2020
1
इस तरह लब हिले
कि रातों ने
अपने सीने के राज़ खोल दिए


2
मुंजमिद क़दमों को पिघलाता है कौन
रास्ता बन कर
चला जाता है कौन


3
तेरे लबों पर
मेरे दिल की ख़्वाहिश है
आ जाए न कोई तबाही


देख के चल
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