तीन मुख़्तसर नज़्में By Nazm << कश्मकश हर्फ़-ए-आख़िर >> 1 इस तरह लब हिले कि रातों ने अपने सीने के राज़ खोल दिए 2 मुंजमिद क़दमों को पिघलाता है कौन रास्ता बन कर चला जाता है कौन 3 तेरे लबों पर मेरे दिल की ख़्वाहिश है आ जाए न कोई तबाही देख के चल Share on: