तुम्हारे बा'द
By tuaqeer-chughtaiMarch 1, 2024
क़मीज़ उल्टी पहन लेता हूँ वहशत में
कभी जूता नहीं मिलता
कई रंगों के मोज़े हैं मगर अच्छे नहीं लगते
उधड़ती जा रही है शर्ट जीवन की तरह
गर्दन से ले कर आस्तीनों तक
बिछड़ने से ज़रा पहले
जो तारिक़ रोड से हम ने ख़रीदी थी
तुम्हारे बा'द कैफ़िय्यत बदलती जा रही है रख-रखाव की
पता चलता नहीं कुछ दिन गुज़रने का न मौसम के बदलने का
तुम्हारे हाथ से लिक्खे हुए ख़त पढ़ता रहता हूँ
लिफ़ाफ़े पर ख़ुद अपना नाम लिख कर पोस्ट कर देता हूँ दोबारा
और इस के बा'द दिन-भर डाकिये की राह तकता हूँ
कभी जूता नहीं मिलता
कई रंगों के मोज़े हैं मगर अच्छे नहीं लगते
उधड़ती जा रही है शर्ट जीवन की तरह
गर्दन से ले कर आस्तीनों तक
बिछड़ने से ज़रा पहले
जो तारिक़ रोड से हम ने ख़रीदी थी
तुम्हारे बा'द कैफ़िय्यत बदलती जा रही है रख-रखाव की
पता चलता नहीं कुछ दिन गुज़रने का न मौसम के बदलने का
तुम्हारे हाथ से लिक्खे हुए ख़त पढ़ता रहता हूँ
लिफ़ाफ़े पर ख़ुद अपना नाम लिख कर पोस्ट कर देता हूँ दोबारा
और इस के बा'द दिन-भर डाकिये की राह तकता हूँ
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