तुम्हारे फूल ताज़ा हैं By Nazm << दहशत-गर्द बनाते हो मोहब्बत दर्द देती है >> तुम्हारे फूल ताज़ा हैं मिरी सब उँगलियों पर उग रहे हैं और ये शाख़ें ये मेरी उँगलियाँ कैसी हरी हैं इन की शिरयानों में बहता रंग फूलों के लबों से बह रहा है क़तरा क़तरा एक बे-मौसम कहानी कह रहा है Share on: