वलीमा ख़त्म होने के बा'द
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
ख़ुदा जाने
बुलावे ठीक से बाँटे नहीं लड़के ने
या मुझ से
पुरानी दुश्मनी कोई निकाली है गली वालों ने मेरे
न आ कर
जो खाना बच गया इतना
ब-हर-सूरत मुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है
वो जिस को साँस का आज़ार हो
उस को भला ज़र्दे से बिरयानी से क्या मतलब
कहीं बाँटो इसे मेरी बला से
मगर जो लकड़ियाँ तंदूर की बाक़ी बची हैं
ये कहीं पर ध्यान से रख दो
इसी जाड़े में मुमकिन है तुम्हें इन की ज़रूरत हो
न जाने क्यों
हमेशा से मुझे लगता है मेरी मौत के दिन
रात को कोहरा बहुत होगा
बुलावे ठीक से बाँटे नहीं लड़के ने
या मुझ से
पुरानी दुश्मनी कोई निकाली है गली वालों ने मेरे
न आ कर
जो खाना बच गया इतना
ब-हर-सूरत मुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है
वो जिस को साँस का आज़ार हो
उस को भला ज़र्दे से बिरयानी से क्या मतलब
कहीं बाँटो इसे मेरी बला से
मगर जो लकड़ियाँ तंदूर की बाक़ी बची हैं
ये कहीं पर ध्यान से रख दो
इसी जाड़े में मुमकिन है तुम्हें इन की ज़रूरत हो
न जाने क्यों
हमेशा से मुझे लगता है मेरी मौत के दिन
रात को कोहरा बहुत होगा
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