ज़ाइद ज़िंदगी
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
कहानी और होती कुछ हमारी
अगर हम वक़्त से सोने की 'आदत डाल लेते
मगर हम तो
न जाने क्या समझते थे सहर तक जागने को
जो हम ने जाग कर काटी हैं नींद आते हुए भी
वो ज़ाइद ज़िंदगी है
वो ज़ाइद ज़िंदगी है जिस ने सारे मसअले पैदा किए हैं
जिसे जीने में
ख़्वाबों के ये उल्झट्टे हुए हैं
अगर हम वक़्त से सोने की 'आदत डाल लेते
मगर हम तो
न जाने क्या समझते थे सहर तक जागने को
जो हम ने जाग कर काटी हैं नींद आते हुए भी
वो ज़ाइद ज़िंदगी है
वो ज़ाइद ज़िंदगी है जिस ने सारे मसअले पैदा किए हैं
जिसे जीने में
ख़्वाबों के ये उल्झट्टे हुए हैं
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