आरज़ूएँ न रहीं हसरत-ओ-अरमाँ न रहे

By akhtar-ansari-akbarabadiMay 31, 2024
आरज़ूएँ न रहीं हसरत-ओ-अरमाँ न रहे
या'नी पहलू से मिरे वो दिल-ए-दीवाना गया
छुट गए और सब अंदाज़-ए-जुनूँ तो लेकिन
दूसरे तीसरे दिन का मिरा रोना न गया


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