एजाज़-ए-इज्ज़ By Qita << चूम कर उस बुत की पेशानी क... नामा-ए-दर्द को मिरे ले कर >> किस मख़मसे में डाल दिया इंकिसार ने अपने कहे पे आप ही मैं शर्मसार हूँ ले आया मेरे वास्ते वो एक बेलचा इक दिन ये कह दिया था कि मैं ख़ाकसार हूँ Share on: