ग़म की तारीक फ़ज़ाओं से निकलने न दिया

By ganesh-bihari-tarzOctober 30, 2020
ग़म की तारीक फ़ज़ाओं से निकलने न दिया
शम्अ रौशन जो कोई की भी तो जलने न दिया
तुम ने ये क्या किया ऐ झूटी उमीदो कि मुझे
सुब्ह की आस तो दी रात को ढलने न दिया


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