ग़म की तारीक फ़ज़ाओं से निकलने न दिया By Qita << अल्लाह-तौबा अपने आ'साब के मारे हु... >> ग़म की तारीक फ़ज़ाओं से निकलने न दिया शम्अ रौशन जो कोई की भी तो जलने न दिया तुम ने ये क्या किया ऐ झूटी उमीदो कि मुझे सुब्ह की आस तो दी रात को ढलने न दिया Share on: