जब अपना फ़र्ज़ वतन-दोस्त भूल जाते हैं

By abul-fitrat-meer-zaidiApril 7, 2023
जब अपना फ़र्ज़ वतन-दोस्त भूल जाते हैं
वतन-फ़रोश उसी वक़्त सर उठाते हैं
अमल बग़ैर जवाहिर भी संग-रेज़े हैं
अमल के सामने पत्थर भी झिलमिलाते हैं


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