जो चोट भी लगी है वो पहली से बढ़ के थी By Qita << दिल टुक उधर न आया ईधर से ... डूब जाएगा आज भी ख़ुर्शीद >> जो चोट भी लगी है वो पहली से बढ़ के थी हर ज़र्ब-ए-कर्बनाक पे मैं तिलमिला उठा पानी रसोई-गैस का बिजली का फ़ोन का बिल इतने मिल गए हैं कि मैं बिलबिला उठा Share on: