कभी हो गया मयस्सर न हुआ कभी मयस्सर

By anwar-masoodOctober 25, 2020
कभी हो गया मयस्सर न हुआ कभी मयस्सर
सर-ए-आम क्या कहूँ मैं कि ये रोज़ की हैं बातें
कभी मैं ने कश लगाया कभी कश नहीं लगाया
इसी कश्मकश में गुज़रीं मिरी ज़िंदगी की रातें


49804 viewsqitaHindi