लुत्फ़-ए-नज़्ज़रा है ए दोस्त इसी के दम से By Qita << गह सरगुज़िश्त उन ने फ़रहा... पैरो-कारी चापलूसी काले धन... >> लुत्फ़-ए-नज़्ज़रा है ए दोस्त इसी के दम से ये न हो पास तो फिर रौनक़-ए-दुनिया क्या है तेरी आँखें भी कहाँ मुझ को दिखाई देतीं मेरी ऐनक के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है Share on: