ये तिरी तख़्लीक़ ना-फ़र्जाम ये टेढ़ी ज़मीन

By akhtar-ansari-akbarabadiMay 31, 2024
ये तिरी तख़्लीक़-ए-ना-फ़र्जाम ये टेढ़ी ज़मीन
हश्र तक टेढ़ी रहेगी इस में तू मा'ज़ूर है
आ कि सीने से लगाएँ ख़ालिक़-ए-बर-हक़ तुझे
जितने हम मजबूर हैं उतना ही तू मजबूर है


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