कब कोई फ़ुज़ूल हाथ मिलता है भला Admin साल गिरह शायरी, Rubaai << पीरी की सपेदी है कि मरता ... जो मकतब-ए-ईजाद में दाख़िल... >> कब कोई फ़ुज़ूल हाथ मिलता है भला मतलब कहीं इस तरह निकलता है भला जब दाहने हाथ से गिरह खुल न सकी कब बाएँ क़दम से काम चलता है भला Share on: