अब मुझ को एहतिमाम से कीजे सुपुर्द-ए-ख़ाक By Sher << जिस को मेरी हालत का एहसास... अजब अंदाज़ के शाम-ओ-सहर ह... >> अब मुझ को एहतिमाम से कीजे सुपुर्द-ए-ख़ाक उक्ता चुका हूँ जिस्म का मलबा उठा के मैं Share on: