बहार-ए-गुलिस्ताँ हम को न पहचाने तअज्जुब हैBy salik-lakhnaviNovember 16, 2020बहार-ए-गुलिस्ताँ हम को न पहचाने तअज्जुब हैगुलों के रुख़ पे छिड़का है बहुत ख़ून-ए-जिगर हम ने91899 viewssher • Hindi08Share