छेड़ कर जैसे गुज़र जाती है दोशीज़ा हवा By Sher << नहीं है फ़ुर्सत यहीं के झ... लोग कहते रहे क़रीब है वो >> छेड़ कर जैसे गुज़र जाती है दोशीज़ा हवा देर से ख़ामोश है गहरा समुंदर और मैं Share on: