दमक रहा है जो नस नस की तिश्नगी से बदन By Sher << मौत बर-हक़ है एक दिन लेकि... अगर चमन का कोई दर खुला भी... >> दमक रहा है जो नस नस की तिश्नगी से बदन इस आग को न तिरा पैरहन छुपाएगा Share on: