बदन को छोड़ ही जाना है रूह ने 'आज़र' By Sher << किसी ने मुझ से कह दिया था... बार-हा ये भी हुआ अंजुमन-ए... >> बदन को छोड़ ही जाना है रूह ने 'आज़र' हर इक चराग़ से आख़िर धुआँ निकलता है Share on: