दिन निकलना था कि सारे शहर में भगदड़ मची By Sher << हर बार नया ले के जो फ़ित्... ये रूह रक़्स-ए-चराग़ा... >> दिन निकलना था कि सारे शहर में भगदड़ मची अनगिनत ख़्वाबों के चेहरे भीड़ में गुम हो गए Share on: