एक एक कर के लोग निकल आए धूप में By Sher << नाम-लेवा तुम्हारा है '... न हों ख़्वाहिशें न गिला क... >> एक एक कर के लोग निकल आए धूप में जलने लगे थे जैसे सभी घर की छाँव में Share on: