फिर आई फ़स्ल कि मानिंद बर्ग-ए-आवारा By Sher << वतन की सर-ज़मीं से इश्क़-... मिस्ल-ए-मजनूँ जो परेशाँ ह... >> फिर आई फ़स्ल कि मानिंद बर्ग-ए-आवारा हमारे नाम गुलों के मुरासलात चले Share on: