ग़ैर को शर्बत-ए-दीदार मुबारक तेरा By Sher << ख़ूब-रूयों के बिगड़ने में... गर रहूँ शहर में हो दूद के... >> ग़ैर को शर्बत-ए-दीदार मुबारक तेरा अब तो पानी भी पिएगा न तिरे घर का कोई Share on: