ग़ैर तरफ़ क्यूँकि नज़र कर सकूँ By Sher << मेरे दुश्मन न मुझ को भूल ... ये सब तो दुनिया में होता ... >> ग़ैर तरफ़ क्यूँकि नज़र कर सकूँ ख़ौफ़ है तुझ इश्क़ के जासूस का Share on: