गोश-ए-मुश्ताक़-ए-सदा-ए-नाला-ए-दिल अब कहाँ By Sher << हमें भी ज़रूरत थी इक शख़्... गो उन्हें राह-ए-इंहिराफ़ ... >> गोश-ए-मुश्ताक़-ए-सदा-ए-नाला-ए-दिल अब कहाँ शेर अगर दिल के लहू में डूब कर निकले तो क्या Share on: