हैं उक़्दा-कुशा ये ख़ार-ए-सहरा By Sher << न उस के लब को फ़क़त लाल क... यूँ तो मोहब्बतों में बड़ी... >> हैं उक़्दा-कुशा ये ख़ार-ए-सहरा कम कर गिला-ए-बरहना-पाई Share on: