हकीम ओ आरिफ़ ओ सूफ़ी तमाम मस्त-ए-ज़ुहूर By Sher << नए फ़ित्ने जो उठते हैं जह... ज़िंदगी से मिले हुए हो तु... >> हकीम ओ आरिफ़ ओ सूफ़ी तमाम मस्त-ए-ज़ुहूर किसे ख़बर कि तजल्ली है ऐन-ए-मस्तूरी Share on: