हम चाहते थे माह-ए-दरख़्शाँ को देखना By Sher << साँस लेता हूँ तो दम घुटता... एक बस्ती थी हुई वक़्त के ... >> हम चाहते थे माह-ए-दरख़्शाँ को देखना उस ने हमें दरीचे से चेहरा दिखा दिया Share on: