ज़ब्त-ए-जुनूँ से अंदाज़ों पर दर तो बंद नहीं होते By Sher << लोगो हम तो एक ही सूरत में... अहबाब मुझ से क़त-ए-तअल्लु... >> ज़ब्त-ए-जुनूँ से अंदाज़ों पर दर तो बंद नहीं होते तू मुझ से बढ़ कर रुस्वा हो ये भी तो हो सकता है Share on: