जाने क्यूँ रंग-ए-बग़ावत नहीं छुपने पाता By Sher << ख़ूब गए परदेस कि अपने दीव... आशुफ़्ता-ख़ातिरी वो बला ह... >> जाने क्यूँ रंग-ए-बग़ावत नहीं छुपने पाता हम तो ख़ामोश भी हैं सर भी झुकाए हुए हैं Share on: