'अजमल' सफ़र में साथ रहीं यूँ सऊबतें By Sher << हमारी फ़त्ह के अंदाज़ दुन... दिए के और हवाओं के मरासिम... >> 'अजमल' सफ़र में साथ रहीं यूँ सऊबतें जैसे कि हर सज़ा का सज़ा-वार मैं ही था Share on: