कहीं पे मंतिक़ कहीं दलाएल ज़रूर होंगे By Sher << बे-मसरफ़ बे-हासिल दुख वो यहाँ तक जो आ नहीं सकते >> कहीं पे मंतिक़ कहीं दलाएल ज़रूर होंगे रह-ए-जुनूँ में सवाल हाइल ज़रूर होंगे Share on: