ख़्वाह काबा हो कि बुत-ख़ाना ग़रज़ हम से सुन

By meer-hasanNovember 17, 2020
ख़्वाह काबा हो कि बुत-ख़ाना ग़रज़ हम से सुन
जिस तरफ़ दिल की तबीअत हो उधर को चलिए
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