किस वक़्त में बसा था इलाही ये मुल्क-ए-दिल By Sher << कूचा-ए-यार है और दैर है औ... ख़्वाह काबा हो कि बुत-ख़ा... >> किस वक़्त में बसा था इलाही ये मुल्क-ए-दिल सदमे ही पड़ते रहते हैं नित इस दयार पर Share on: