कुछ रब्त-ए-ख़ास अस्ल का ज़ाहिर के साथ है By Sher << नैरंग-ए-इश्क़ आज तो हो जा... नज़दीक की ऐनक से उसे कैसे... >> कुछ रब्त-ए-ख़ास अस्ल का ज़ाहिर के साथ है ख़ुशबू उड़े तो उड़ता है फूलों का रंग भी Share on: