मैं भी रुक रुक के न मरता जो ज़बाँ के बदले By Sher << शहर में चर्चा है अब तेरी ... ज़ुल्फ़ को क्यूँ जकड़ के ... >> मैं भी रुक रुक के न मरता जो ज़बाँ के बदले दशना इक तेज़ सा होता मिरे ग़म-ख़्वार के पास Share on: