मैं मुनक़्क़श हूँ तिरी रूह की दीवारों पर By Sher << दिला उठाइए हर तरह उस की च... अपने अंदाज़-ए-तकल्लुम को ... >> मैं मुनक़्क़श हूँ तिरी रूह की दीवारों पर तू मिटा सकता नहीं भूलने वाले मुझ को Share on: