मैं ने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोई By Sher << तिरे मकाँ का तक़द्दुस अज़... ग़ज़ब है कि दिल में तो रक... >> मैं ने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोई आज तक मसरूफ़ हूँ उस ख़्वाब की तकमील में Share on: