मैं तेरे हदिया-ए-फुर्क़त पे कैसे नाज़ाँ हूँ

By akash-arshMay 30, 2024
मैं तेरे हदिया-ए-फुर्क़त पे कैसे नाज़ाँ हूँ
मिरी जबीं पे तिरा ज़ख़्म तक हसीन नहीं
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