मेरी ही नज़र की मस्ती से सब शीशा-ओ-साग़र रक़्साँ थे
By moin-ahsan-jazbiNovember 8, 2020
मेरी ही नज़र की मस्ती से सब शीशा-ओ-साग़र रक़्साँ थे
मेरी ही नज़र की गर्मी से सब शीशा-ओ-साग़र टूट गए
मेरी ही नज़र की गर्मी से सब शीशा-ओ-साग़र टूट गए
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