मिट्टी में कितने फूल पड़े सूखते रहे By Sher << कोई कश्ती में तन्हा जा रह... क्या ख़ुदा हैं जो बुलाएँ ... >> मिट्टी में कितने फूल पड़े सूखते रहे रंगीन पत्थरों से बहलता रहा हूँ मैं Share on: