मुझ पे आसाँ है कहे लफ़्ज़ का ईफ़ा करना By Sher << बैठे थे जब तो सारे परिंदे... बहार-ए-नौ की फिर है आमद आ... >> मुझ पे आसाँ है कहे लफ़्ज़ का ईफ़ा करना उस को मुश्किल है तो वो अपनी सुहूलत देखे Share on: