निगाह-ए-क़हर के मारे जब इतना ख़ुश हैं तो फिर By Sher << मिरा सलाम वो लेता नहीं मग... मेहनत पे टुक नज़र कर सूरत... >> निगाह-ए-क़हर के मारे जब इतना ख़ुश हैं तो फिर निगाह-ए-लुत्फ़ के मारों का हाल क्या होगा Share on: