रखता है क़दम नाज़ से जिस दम तू ज़मीं पर By Sher << रक्खा है ठौर मुझ को कहरवे... रहने पे जो मस्जिद के मिरी... >> रखता है क़दम नाज़ से जिस दम तू ज़मीं पर कहते हैं फ़रिश्ते तुझे जय अर्श-ए-बरीं पर Share on: