रोज़ ही पीना रोज़ पिलाना रोज़ ग़मों से टकराना By Sher << अब के मसरूफ़ियत-ए-इश्क़ ब... मेहनत कर के हम तो आख़िर भ... >> रोज़ ही पीना रोज़ पिलाना रोज़ ग़मों से टकराना इक दिन मय को भूल के आओ गंगा-जल की बात करें Share on: