कोई ख़ुश-ज़ौक़ ही 'शाहिद' ये नुक्ता जान सकता है By Sher << किसी से इश्क़ अपना क्या छ... ये दर्द कि है तेरी मोहब्ब... >> कोई ख़ुश-ज़ौक़ ही 'शाहिद' ये नुक्ता जान सकता है कि मेरे शेर और नख़रे तुम्हारे एक जैसे हैं Share on: