तर्क-ए-तअल्लुक़ात ख़ुद अपना क़ुसूर था By Sher << एक भी पत्थर न आया राह में ये दिल जो मुज़्तरिब रहता ... >> तर्क-ए-तअल्लुक़ात ख़ुद अपना क़ुसूर था अब क्या गिला कि उन को हमारी ख़बर नहीं Share on: