तिरे ख़याल से रौशन है सर-ज़मीन-ए-सुख़न

By narjis-afroz-zaidiNovember 10, 2020
तिरे ख़याल से रौशन है सर-ज़मीन-ए-सुख़न
कि जैसे ज़ीनत-ए-शब हो मह-ए-तमाम के साथ
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