तिरे ख़याल से रौशन है सर-ज़मीन-ए-सुख़नBy narjis-afroz-zaidiNovember 10, 2020तिरे ख़याल से रौशन है सर-ज़मीन-ए-सुख़नकि जैसे ज़ीनत-ए-शब हो मह-ए-तमाम के साथ68630 viewssher • Hindi08Share